कुर्बानी के बारे में अहम मालुमात जिसका जानना मुसलमानों के लिए ज़रूरी है


जिल हिज्जा इस्लामी साल का आखरी महीना है और यह हुरमत वाले महीनों में से है, इसमें बहुत से आमाल और बहुत से फज़ाईल खुसीसियात ऐसी है जिसकी वजह से यह फ़जीलत वाला महीना है इसकी शुरुआती दस दिन और दस रातें, इसके अंदर कुर्बानी हज वगैरह ऐसे आमाल हे जिसकी वजह से अल्लाह ने इस महीने को खास हुरमत और फ़जीलत से नवाजा है, इस महीने में कुर्बानी का अमल ऐसा है जिसका कोई बदल नहीं, पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब ने इरशाद फ़रमाया जो शख्स ताकत और कुदरत रखने के बावजूद कुर्बानी ना करें वह हमारी ईदगाह के करीब भी ना आऐं, पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब ने सख्त नाराज़गी ज़ाहिर की ऐसे शख्स पर जो कुर्बानी के दिनों में यानी 10, 11, 12, जिलहिज्जा में ताकत और कुदरत रखता हो और कुर्बानी ना करें, पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब का सख्त नाराज़गी ज़ाहिर करना इस बात की दलील है कि कुर्बानी करना वाजिब और ज़रूरी है, क्योंकि जो सख्त वईद और नाराज़गी का इज़हार होता है यह किसी वाजिब और ज़रूरी काम के छोड़ने पर होता है इससे मालुम हुआ कि कुर्बानी करना मुसलमानों पर लाजिम और ज़रूरी है,
अब सवाल यह उठता है कि कुर्बानी करना किस मुसलमान पर वाजिब है, कुर्बानी करना उस बालिग मर्द और औरत पर पर वाजिब है जो के कुर्बानी के दिनों में निसाब का मालिक हो, यानी जिसकी मिल्कियत में साढ़े सात तोला सोना (जिसका वज़न आज के ग्राम के हिसाब से 87 ग्राम 479 मिलीग्राम होता है) या साढ़े बावन तोला चांदी (जिसका वज़न आज के ग्राम के हिसाब से 612 ग्राम 35 मिलीग्राम होता है) या इसके बराबर रूपया पैसा या तिजारत का सामान या घर में रखा हुआ ज़रूरत से ज़्यादा सामान या रहने के मकान के अलावा जाईद मकान प्लांट हो तो ऐसे शख्स पर कुर्बानी करना वाजिब है,
कुर्बानी वाजिब होने के लिए माल पर साल गुज़रना शर्त नहीं है, बल्कि अगर किसी के पास ईद वाले दिन भी निसाब के बराबर माल आगया तो उस पर कुर्बानी करना वाजिब है यहां तक कि अगर 12 जिलहिज्जा को भी इतना माल हासिल हो गया तो भी कुर्बानी वाजिब हो गई, कुर्बानी के जानवर बकरा ऊंट बैल भैंस
भेड़ दुमबा, (नर मादा या खस्सी) इन तमाम जानवरों में से हर एक की कुर्बानी जाईज़ है, (प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी ना करें) पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब ने इरशाद फ़रमाया: कुर्बानी का जानवर क़यामत के दिन 70 गुना ज़्यादा मोटा होकर आएगा और नेकी तोलने वाले तराज़ू में रखा जाएगा, लिहाज़ा ज़ोक व शौक और खुशदिली के साथ अल्लाह को राज़ी करने के लिए कुर्बानी करनी चाहिए, अल्लाह तआला हमारी नेकियों को क़बुल फरमाएं आमीन

✍️मुफती मुहम्मद अहमद
थाना भवन ज़िला शामली

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